Short Hindi Stories With Moral For Kids 2022 कहानियो और बच्चो का बहुत ही गहरा नाता होता है क्योकि कहानियां ही होती है जो बच्चो को लुभाने के साथ साथ जीवन का महत्वपूर्ण सिख भी देकर जाती है और बच्चो को इसलिए कहानियों से अधिक लगाव होता है क्योंकि इसमें राजा रानी परियां तथा जंगल के जानवरो का अधिक जिक्र होता है
और छोटे बच्चो को सबसे ज्यादा इन से ही लगाव होता है इसलिए बच्चो को अगर कोई बात समझानी हो या सिख देनी हो तो उन्हे हम सीधी भाषा नही समझा सकते हमे Short stories in hindi with moral कहानियों का ही सहारा लेना पड़ता है और ये छोटी बड़ी कहानियां ही होती है जो बच्चो को सही गलत का फर्क समझाती है और बच्चो का मार्गदर्शन करती है
कहानियां वैसे तो बच्चो अधिकतर सुनाई जाती है लेकिन हर उम्र के व्यक्ति बच्चे से लेकर बड़े तक सभी को कहानियां पसंद होती क्योंकि हर कहानी से हमे एक सिख मिलती है गलत और सही की सिख जो की हर उम्र के व्यक्ति के महत्वपूर्ण है

और देखा जाए तो ज्यादातर कहानियां घर के बुजुर्ग जैसे दादा दादी या नाना नानी ही बच्चो को सुनाते है लेकिन आज के समय में कई बच्चे ऐसे होते है जो शहर में रहते है और उनके घर के बुजुर्ग नाना नानी तथा दादा दादी गांव में रहते है जिस वजह से बच्चे कहानियों से विंछित हो जाते है
इसलिए आज के इस लेख में हम उन बच्चो के लिए 110 Short Hindi Stories With Moral For Kids लेकर आए है जिसको पढ़ने के बाद न सिर्फ बच्चो का मनोरंजन होगा बल्कि Story के अंत में उनको एक सिख भी मिलेगी
तो आइये बिना समय गवाते हुए उन Short stories hindi को पढ़ते है जिससे हमें अधिक आनंद प्राप्त होगा
Short Stories in Hindi with Moral 2022
बच्चो को बेहतरीन In Hindi Short stories सुनाने के लिए मेने आज के इस लेख में Stories of Hindi with Moral प्रस्तुत किया है ये कहानियाँ बच्चो से लेकर बड़ो तक सभी आयु के व्यक्तियों के लिए है सभी इसका लुफ्त उठा सकते है लेकिन अधिकतम इन्हे बच्चो को ध्यान में रखकर लिखा गया है
1.ईमानदारी का बोलबाला : Hindi Short Stories with Moral

एक बार एक राज्य में अकाल पड़ा लोग भूख के कारण मरने लगे तब उस राज्य के राजा ने घोषणा करवा दी की राज्य के सभी बच्चो को रोजाना एक एक रोटी दी जाएगी अगले ही दिन राज्य के सारे बच्चे राजा के महल के बाहर इकटठा हो गए रोटी के लिए वहा पर कुछ रोटी छोटी थी
तो कुछ रोटी बड़ी लेकिन सभी बच्चे बड़ी रोटी पाना चाहते थे जिसके लिए उनमें आपस में धक्का मुक्की और लड़ाई होने लगी तभी राजा ने देखा की एक छोटी सी लड़की चुपचाप खड़ी थी
अंत में एक छोटी सी रोटी बची जिसे उस लड़की ने खुशी खुशी लिया और घर चली गई दूसरे दिन भी ऐसा ही हुआ जब रोटी बाटी जा रही थी तो तब भी उस लड़की को सबसे छोटी रोटी ही मिली उसने खुशी खुशी रोटी ली और घर चली गई घर जाने के बाद जब वह रोटी खाने लगी तब रोटी में एक सोने का सिक्का निकला
सिक्के को देख उस लड़की के परिवार वालो ने बोला ये सिक्का राजा को दे आओ ये हमारी अमानत नही हैं वो लड़की दौड़ कर राजा के महल पहुंची और राजा से कहा मेरी रोटी में ये सोने का सिक्का निकला है शायद रोटी बनाते वक्त गलती से आटे में गिर गया होगा आप इसे वापस रख लीजिए राजा उस लड़की की ईमानदारी को देखकर बहुत खुश हुआ
राजा की कोई लड़की नहीं थी इसलिए राजा ने उस लड़की को गोद ले लिया और उसके परिवार वालो को भी महल में ही रख लिया इतना ही नहीं राजा ने कुछ समय के बाद अपनी सारी की सारी संपत्ति उस लड़की के नाम कर दी।
सिख
इस कहानी से हमे ये सिख मिलती है की ईमानदारी बड़े लोगो के अच्छाइयों में से एक है ईमानदारी किसी भी व्यक्ति को सही रास्ते पर ले जाती है ईमानदार व्यक्ति का मन स्थिर रहता है और ईमानदारी इंसान को बड़ा बनाती है
2.आलसी गधा : Hindi Short Stories Moral

एक गांव में एक व्यापारी रहता था उसके के पास एक गधा था व्यापारी गधे की पीठ पर समान रख कर गांव से शहर जाता था एक दिन व्यापारी गधे की पीठ पर शक्कर की बोरी रखकर शहर जा रहा था तभी रास्ते में उसे एक नदी मिली नदी में जैसे ही गधा पैर रखता है उसका पैर फिसल जाता है और वो गिर जाता है गधा जैसे ही पानी में गिरता है
शक्कर पानी में गिर कर घुल जाती है और बोरियो का वजन कम हो जाता है व्यापारी बची कूची शक्कर की बोरिया गधे पर रखता हैऔर वापस घर की और चल देता है गधा सोचता है अरे वाह ये तो चमत्कार हो गया पानी में गिरते ही बोरियो का वजन कम हो गया व्यापारी मायूस होकर घर आता है और गधे को पेट भर खाना खिलाता है
और गधा खुशी खुशी सो जाता है दूसरे दिन व्यापारी फिर शक्कर की बोरिया गधे की पीठ पर रखकर शहर की ओर चल पड़ता है उसे रास्ते में फिर नदी मिलती है इस बार गधा जानमुच कर पानी में गिरता है और यही सिलसिला गधा रोज दोहराने लगता है और सोचता है मेरा मालिक कितना बेवकूफ है
में आसानी से उसे रोज उल्लू बना देता है लेकिन एक दिन व्यापारी को शक हो गया उसने शक्कर की बोरिया की जगह रूई की बोरी गधे पर रख दी और गधा खुशी खुशी बोरिया लेकर जाने लगा और जैसे ही वो नदी के पास पहुंचा वैसे ही गिरने का नाटक करने लगा पानी में रूई की बोरी गिरते ही उसका वजन दुगना हो गया
और व्यापारी ने बोरिया उठाकर गधे के पीठ पर रख दी अचानक गधा चौंक गया और सोचने लगा अरे नहीं ये क्या हुआ बोरियो का वजन दुगना कैसे हो गया बोरिया इतनी भारी केसे हो गई उसे बोरिया उठाने में बहुत तकलीफ हुई
सिख
इस कहानी से हमे से सिख मिली की हमे अपना काम समय पर कर लेना चाहिए और हमे अपना काम सच्ची ईमानदारी से करना चाहिए
3. बकरी की सहेलियां : Hindi short Stories for kids
एक बार की बात है एक बकरी थी वह बहुत ही खुशी खुशी अपने गांव में रहती थी वह बहुत ही। मिलनसार थी बहुत सारी बकरिया उसकी दोस्त थी उसकी किसी से भी कोई दुश्मनी नहीं थी वो सभी से बात करती और सभी को अपना दोस्त मानती थी सभी कुछ बहुत अच्छा चल रहा था लेकिन एक दिन अचानक बकरी बहुत बीमार पड़ गई

और उसी कारण वह धीरे धीरे कमजोर होने लगी इसलिए वो अपना पूरा दिन घरपर ही बिताने लगी बकरी ने जो भी खाना जमा किया था अब वो भी धीरे धीरे खत्म होते जा रहा था
लेकिन एक दिन उसकी सभी सहेलियां उसका हालचाल पूछने उसके पास आई इस बात से बकरी बहुत खुश हुई और बकरी ने सोचा की अपनी सहेलियों से कुछ और दिनो का खाना मनवा लेगी लेकिन ये सहेलियां तो उससे मिलने उसके घर के अंदर आने से पहले ही बाहर रुक गई और उसके आंगन में रखा
उसका खाना घास फूस खाने लगी ये देखकर बकरी को बड़ा बुरा लगा और दुख हुआ और इससे बकरी को समझ आ गया की उसने जीवन में क्या गलती की बकरी सोचने लगी की काश हर किसी को अपने जीवन का हिस्सा व दोस्त बनाने से पहले उन्हें थोड़ा परख लिया होता तो इस बीमारी में मेरी मदद के लिए कोई तो होता
सिख
इस कहानी से हमे ये सिख मिलती है की हर किसी को दोस्त बनाने से पहले थोड़ा परख लेना चाहिए की वो हमारा दोस्त है या सिर्फ हमसे फायदा उठाना चाहता है।
4. मेहनत का फल : Hindi Short Stories for Class 1
दो दोस्त थे संजय और अशोक दोनों ही बेरोजगार थे एक दिन दोनों अपने परिचित गुरुजी के पास पहुंचे और अपनी परेशानी बताई और कहा गुरु जी हमें कुछ रुपए दीजिए जिससे हम कुछ काम धंधा शुरू कर सके तब उनके गुरु ने उन दोनों को एक एक हजार रुपए दिए और साथ ही कहा कि 1 साल के अंदर तुम लोगों को यह रुपए लौटाना होगा

दोनों ने गुरु जी की बात मान ली और वहां से चल दिए रास्ते में अचानक संजय ने कहा हमें इन पैसो से कोई अच्छा काम शुरू करना चाहिए लेकिन अशोक ने कहा नहीं अब हम कुछ दिन बाहर घूमने जाएंगे मौज करेंगे
1 साल बीत जाने के बाद दोनों दोस्त गुरुजी के पास पहुंचे गुरुजी ने पहले अशोक से पूछा तुम्हें जो मैंने ₹1000 दिए थे उसका तुमने क्या किया और मेरे पैसे लाये हो लौटाने के लिए तब अशोक ने मुंह लटका कर बोला गुरूजी किसी ने मेरा पैसा थक लिया उसके बाद गुरुजी ने संजय से पूछा क्या तुम भी खाली हाथ आए हो
तभी संजय ने मुस्कुराते हुए बोला नहीं गुरु जी यह लीजिए आपके ₹1000 और अतिरिक्त ₹1000 गुरुजी ने संजय से पूछा तुम इतने पैसे कहां से लाए
क्या तुमने किसी को धोखा दिया है जी नहीं संजय ने गुरुजी से कहा मैंने तो यह रुपए अपनी सोच और समझदारी से कमाए हैं यहाँ से जाते वक्त मैंने जंगल में एक परेशान आदमी को देखा जो अपने फलो को बेचना चाहता था तो मैंने अपने पैसे से उसके सारे फल खरीद लिए और शहर में जाकर बेच दिए उसके बाद रोजाना वह व्यक्ति मुझे फल ला कर देता
और मैं उन फलों को शहर में जाकर बेचता ऐसा करते-करते मैंने शहर में अपना फलों का अच्छा कारोबार शुरू कर दिया जिससे मुझे प्रतिदिन हजारों रुपए से अधिक का मुनाफा होता है इतना कहकर संजय ने गुरु जी को शुक्रिया अदा किया और अतिरिक्त पैसे को किसी जरूरतमंद की मदद के लिए रखने के लिए गुरु जी को दिया
गुरु जी संजय से बहुत प्रभावित हुए और अशोक से कहने लगे कि अगर तुम भी समझदारी और मेहनत से काम करते तो सफल हो जाते संजय ने कहा अभी भी ज्यादा देर नहीं हुई है समय का सम्मान करो और श्रम का महत्व समझो सफलता तुम्हारे कदम चूमेगी
सिख
इस कहानी से हमें यह सिख मिलती है की हमें समय का सम्मान करना चाहिए तथा अपनी मेहनत पर भरोसा रखना चाहिए
5. बिना पंखों वाली सुंदर तितली : Short Hindi Stories
एक तितली थी जिसका नाम लेली था लेली बहुत सुंदर थी और वह अपना ज्यादा तर समय पार्क में सुंदर फूलों का रस चूसने में बिताया करती थी लेली को अपने पंखों पर बहुत घमंड था उसे अपने दोस्तो से आगे उड़ना पसंद था ताकि पीछे से उसके दोस्त लेली के पंखों को देख उसकी तारीफ कर सके

लेली – आज मेरे पंख बहुत ज्यादा सुंदर लग रहे है शायद मोसम के कारण ये हो सकता है आह मेरे दोस्त कितने दुखी लग रहे है और उनके पंख भी कितने फीके लग रहे है लेली बोली लेकिन छोड़ो क्या किया जा सकता है जो मुझे मिला है मुझे तो उसके लिए खुश होना चाहिए और तभी उड़ते उड़ते लेली गुलाब के बाग में पहुंच जाती है
और गुलाब को देखकर लेली कहती है वाओ जरा इन गुलाब तो देखो आखिरकार कोई तो है जो मुझसे खूबसूरत है मुझे पक्का कुछ देर इस पर बैठना चाहिए और जैसे लेली गुलाब के ऊपर बैठती है की तेज हवाओं के द्वारा गुलाब के कांटो से लेली के पंख कट जाते है
लेली – ओ नही ओ नही मेरे पंख वो बहुत देर तक बैठी रोती रही अब जो लेली उड़ नही सकती थी तो वो घर पर ही रहती थी और इस बात से लेली को बहुत दुख हुआ और वो हमेशा उदास रहती थी
और जब भी लेली अपने दोस्तो को उड़ते देखती तो वो और भी उदास हो जाती लेली की मां ने लेली को खूब समझाने की कोशिश की लेकिन उससे कोई फरक नही पड़ा लेकिन एक दिन अचानक लेली का एक दोस्त घबराता हुआ उसके पास आया
लेली – क्या हुआ सिल्वेस्टर तुम इतने घबराए हुए क्यू हो
सिल्वेस्टर – बहुत बुरी खबर है लेली आज पार्क में बच्चे बड़े बड़े जाल लेकर आ गए और हम तितलियों को पकड़ना शुरू कर दिया
लेली – लेकिन वो तितलियों का करेंगे क्या
सिल्वेस्टर – क्या पता वो सुंदर तितलियों को पकड़कर उनके पंखों से खेल रहे थे और उनमें से कुछ तितलिया तो पहले ही मर गई लेली – ओ नही मेरे सारे दोस्त मर गए
लेली की मोम – ओ नही ये तो बहुत बुरा हुआ लेकिन जरा सोचो लेली की अगर आज तुम्हारे पंख होते तो तुम भी अपने दोस्तो के साथ होती और वो शरारती बच्चे तुम्हे भी पकड़ लेते मेरी बच्ची तुम्हारे उस एक्सीडेंट ने तुम्हारी जान बचा ली
सिख
इस कहानी से हमने सीखा की कभी कभी हमारी परेशानी हमारे लिए दुआ बन जाती है कहते है न जो होता है अच्छे के लिए होता है
6. बंदर और ऊंट : Short Stories in hindi
एक दिन जंगल के सारे जानवर अपना अभिनय और नाच गाने की प्रतिभा दिखाने के लिए एकत्रित हुए जब सारे जानवर आ गए तो बंदर से नाचने के लिए कहा गया और बंदर के बारे में तो हम सब जानते है
की बन्दर उछल कूद और कला बाजिया करने में माहिर है बन्दर ने अपना नाच शुरू किया और नाच से सारे जंगल के जानवरों का मनोरंजन किया सभी जानवर बहुत खुश हुए और सभी ने बंदर की बहुत प्रशंसा की और सभी ने बंदर को सबसे बेहतरीन नृत्यकार मान लिया उसके पश्चात ऊंट से बंदर की सराहना देखी नहीं गई
और उसने भी नाचना शुरू कर दिया लेकिन ऊंट का नाच किसी को भी पसंद नहीं आया उसका नाच बिल्कुल बेधंगा और बेतुका था जिसके कारण सबने ऊंट की बुराई करनी शुरू कर दी ऊंट ने ईर्ष्या में आकर नाच किया और बंदर को नीचा दिखाना चाहा इसलिए ऊंट को जंगल से निकल दिया गया
सिख
इस कहानी से हमे यह सिख मिलती है की अगर हम अपनी बांह से अधिक हांथ परोसेंगे तो हानि हमे ही होगी।
7. चींटी और क्रॉसओवर : Hindi Short Stories for Class 2
एक समय की बात है जंगल में एक चींटी रहती थी वह बहुत मेहनती थी वह दिन रात मेहनत करके अपने परिवार के लिए चीजें इकट्ठा करती थी चाहे गर्मी हो या सर्दी चींटी बहुत मेहनत करती थी वह अपने परिवार के लिए बच्चों का पेट भरने के लिए बहुत मेहनत करती थी और सिर्फ इतना ही नहीं है
चींटी ज्यादा खाना लाती और उसे बचाकर रखती थी जिससे आगे काम आ सके और उसी जंगल में एक आलसी क्रॉसओवर था वह पूरा दिन खाली घूमता रहता था
जैसा कि हम सब जानते हैं कि खाली दिमाग शैतान का घर होता है वैसा ही क्रॉसओवर के साथ था वह पूरा दिन कुछ नहीं करता और बस चींटी से जलता रहता था क्योंकि वो पूरे दिन मेहनत किया करती थी एक दिन क्रॉसओवर चींटी का रास्ता रोक लेती है
चींटी – मेरे रास्ते से हट जाओ क्रॉसओवर
क्रॉसओवर – यह जेरी लेकर तुम कहां लेकर जा रही हो चींटी
चींटी – तुम्हे इससे क्या मुझे अपना काम करने दो
क्रॉसओवर – तुम्हे इतनी मेहनत करने की क्या जरूरत है चिटी वैसे भी तुम्हारे इस छोटे पेट में कितना खाना जायेगा
चींटी – क्रॉसओवर तुम्हे काम करने की इंपॉर्टेंस बिलकुल नहीं पता है ना इसलिए तुम ऐसे कर रहे हो
क्रॉसओवर – में और वो भी काम में काम क्यू करूं में जब चाहता हु मुझे मेरा खाना बड़े आराम से मिल जाता है
चींटी – बुरा वक्त कब आ जाए क्या पता बुरे वक्त के लिए थोड़ा बचाना चाहिए
क्रॉसओवर – चलो हटो चिटी तुम पागल हो
चींटी – तुम जो करो तुम्हारी मर्जी
फिर कुछ सालो बाद जंगल में बहुत बड़ा अकाल पड़ गया वहा बारिश भी नहीं हुई और सब कुछ सूखने लगा पूरा जंगल सुख गया धीरे धीरे जंगल के सभी जीव जंतु मरने लगे क्योंकि सुखी जमीन पर खाने के लिए कुछ भी नही था
क्रॉसओवर की हालत भी बहुत खराब हो चुकी थी क्रॉसओवर – खाना खाना मुझे खाना चाहिए अगर मुझे जल्द ही खाना न मिला को मर जाऊंगा और तभी बगल से चिटी एक जेरी लेकर जा रही थी
क्रॉसओवर – जरा सुनो तुम्हे ये जेरी कहा से मिली
चिटी – अरे क्रॉसओवर ये तो मेने बहुत समय पहले इकट्ठा किया था और बुरे वक्त के लिए बचा कर रखा था याद है जब तुम आराम कर रहे थे और में काम कर रही थी तब मेने इकठ्ठा किया था अगर तुम्हे चाहिए तो चलो मेरे साथ और चिटी क्रॉसओवर अपने घर ले जाती है और क्रॉसओवर देखता है की वहा बहुत सारी जेरी हो होती है
क्रॉसओवर – अरे तुमने तो बहुत ज्यादा इकट्ठा किया हुआ है
चिटी – यहां और भी बहुत सारा है और अगर तुम चाहो तो थोड़ा ले भी सकते है क्रॉसओवर- शुक्रिया बहुत बहुत शुक्रिया
सिख
इस कहानी से हमे ये सिख मिलती है की बचा के रखना बहुत जरूरी होता है
8. लोमड़ी और अंगूर : Very Short Story in Hindi
एक बार जंगल में बहुत दूर एक लोमड़ी रहती थी जिसे अच्छी अच्छी चीजे खाना बहुत पसंद था वो बहुत बड़ी लालची थी और हमेशा स्वादिष्ट खाना ढूढती रहती थी एक दिन जंगल में लोमड़ी को अंगूर का गुच्छा पेड़ पर लटका दिखा
तो लोमड़ी बोली कितने अच्छे अंगूर के गुच्छे हैं अंगूर तो मेरे हैं मुझे इसे खाकर देखना चाहिए फिर लोमड़ी सोचने लगती है अरे नहीं अंगूर तो बहुत ऊपर है मैं वहा तक कैसे पहुंचूंगी लेकिन इतने अच्छे अंगूर खाने के लिए मुझे मेहनत तो करनी ही पड़ेगी लोमड़ी लम्बी लम्बी खूब छलांग लगाती है लेकिन अंगूर तक नहीं पहुंच पाती फिर लोमड़ी कहती है
अरे नहीं यह तो कुछ ज्यादा ही ऊंचाई पर है मुझे थोड़ी और कोशिश करनी चाहिए लोमड़ी फिर छलांग लगाती है लेकिन फिर भी अंगूर तक नहीं पहुंच पाती है और अंत में लोमड़ी कहती है नहीं मुझे अंगूर नहीं चाहिए वैसे भी अंगूर बहुत खट्टे होते हैं
सिख
इस कहानी से हमे ये सिख मिलती है कि जो चीज हमें मिल नहीं पाती उस चीज के बारे में हम हमेशा गलत ही बोलते हैं
9. बचपन की सिख : 10 Lines Short Stories with Moral in Hindi
एक गांव में अशोक नाम का एक व्यक्ति रहता था अशोक के बचपन में एक ऐसी घटना हुई जिसने उसकी पूरी जिंदगी बदल दी एक दिन अशोक के घर पर एक भिखारी आया उसको हाथ फैलाए देख अशोक के मन में दया का भाव पैदा हुआ वो तुरंत घर के अंदर गए और अशोक ने मां से कहा की वो तुरंत इस भिखारी को कुछ दे
लेकिन मां के पास उस वक्त कुछ भी नही था बस हाथों में सोने के कंगन थे मां ने हाथो से कंगन निकाल कर अशोक के हाथों में रख दिया और कहा जब तुम बड़े हो जाओगे तो मेरे लिए दूसरे कंगन खरीद देना
अभी इसे बेच कर जरूरत मंदो की सहायता कर दो इससे अशोक के मन पर बहुत बड़ा प्रभाव पड़ा और बड़े होकर अशोक ने अपनी पहली कमाई से मां के लिए सोने के कंगन बनवाए और उन्हे दिया और फिर अशोक ने मां से कहा मां मेने आज तुम्हारा कर्ज उतार दिया तब मां ने बेटे से कहा बेटा मेरा कर्ज तो उस दिन उतरेगा जब
किसी और जरूरतमंद के मदद के लिए मुझे ये कंगन दोबारा नहीं उतारने होंगे मां की ये सिख अशोक के दिल को छू गई और और इस बात से अशोक के जीवन का दर्शन ही बदल गया और
अशोक ने ये प्रण लिया की वे अब अपना सारा जीवन गरीब दुखियो की सेवा करने और उनके दुख दूर करने में व्यतीत करेंगे और उन्होंने ऐसा ही करके भी दिखाया
सिख
इस कहानी से हमे ये सिख मिलती है की कोई भी व्यक्ति एक दिन में महापुरुष नही बनता वर्षो की साधना और बचपन की छोटी छोटी उनके व्यक्तित्व को दर्शाती है।
10. शेर और गाय : Short Story in hindi
एक बार की बात है एक जंगल में 3 गाय आपस में बहुत अच्छी दोस्त थी वे साथ मिलकर घास चरने जाते और बिना किसी लड़ाई झगडे के आपस में हर चीज को बराबर बटाते थे
एक शेर काफी समय से उन तीनो गायों के पीछे पड़ा हुआ था लेकिन वो जनता था की जब तक ये तीनो एक है तब तक वह उनका कुछ नही बिगड़ सकता
तभी शेर ने तीनों गाय को अलग करने के लिए एक तरकीब बनाई और जंगल में तीनो के लिए अफवाहे उड़ानी शुरू कर दी अफवाह सुन सुनकर तीनो गाय में गलतफेमी पैदा होना शुरू हो गई
धीरे धीरे वह एक दूसरे से जलने लगे और आखिरकार एक दिन उनमें झगड़ा हो गया और वो तीनो अलग – अलग रहने लगे शेर के लिए ये सुनहरा अवसर था जैसे ही शेर को पता चला उसने इस मौके का पूरा फायदा उठाया और एक एक कर शेर ने तीनों गाय को मार कर खा गया
सिख
इस कहानी से हमे ये सिख मिलती है कभी बाहर वालो की बात सुनकर आपस में झगड़ा नही करना चाहिए क्योंकि एकता में हो शक्ति होती है
11. सुनो सबकी करो अपने मन की : Story in Hindi with Writing
एक बार की बात है एक बाप और उसका बेटा खच्चर पर समान लेकर कही दूर जा रहे होते है थोड़ी दूर जाने के बाद बाप को लगता है की बेटा थक गया होगा तो बाप बेटे से कहता हैं की बेटा तुम खच्चर पर बैठ जाओ में पैदल चलता हु बेटा खच्चर पर बैठ जाता हैं थोडी दुर जाने पर कुछ लोग दिखते है और वो बेटे को कहते है
कैसा नालायक बेटा है खुद खच्चर पर चल रहा है और बाप पैदल चल रहा है ये सुनकर बेटा खच्चर से उतरकर पिता को खच्चर पर बैठने को कहता है पिता खच्चर पर बैठ जाते है और दोनो चलने लगते है
थोड़ी दूर जाने पर कुछ लोग मिलते है और कहते है कैसा बाप है खुद खच्चर पर बैठा है और बेटे को पैदल चला रहा है बाप जब ये सुनता है तो बेटे को भी अपने साथ खच्चर पर बैठा लेता है और दोनो चलने लगते है थोड़ी दूर चलने के बाद फिर कुछ लोग मिलते है और कहते है
अरे तुम इंसान हो की जानवर दोनो इस खच्चर पर बैठे हो बेचारे खच्चर की जान लोगे क्या ऐसा सुनकर बाप और बेटा दोनो पैदल चलने लगते है फिर कुछ देर चलने के बाद उन्हें एक आदमी मिलता है और कहता है
केसे पागल लोग है खच्चर होने के बाबजूद भी पैदल चल रहे है ये सुनकर बाप और बेटे दोनो का दिमाग खराब हो जाता है और कहते है केसे लोग है दुनिया में हर चीज पर अलग अलग राय देते फिर बाप बेटे से बोलता है बेटा इस संसार में सुनना सबकी लेकिन करना वही जो तुम्हारा दिल और दिमाग कहे
सिख
इस कहानी से हमने सीखा की हमारी जिंदगी में भी कई ऐसे लोग मिलते है जो मुफ्त में सलाह देते है लेकिन उनकी सलाह कितनी सही हमे ही जाचना होता है इसलिए सुनो सबकी लेकिन करो अपनी
12. मां की प्यारी सीख : Hindi Stories in Short
चेतन अपनी मां के साथ एक बहुत अच्छे घर में रहता था चेतन बहुत अच्छा लड़का था और हमेशा अपनी मां का कहना मानता था चेतन की मां बहुत ही स्वादिष्ट पकवान बनाती थी चेतन को अच्छे-अच्छे पकवान खाना बहुत पसंद था
एक बार चेतन की मां ने बहुत स्वादिष्ट कुकीज बनाकर बाजार चली गई और बाजार जाने से पहले मां ने चेतन से कहा कि तुम अपना होमवर्क समाप्त करने के पश्चात ही कुकीज खा सकते हो
चेतन इस बात से बहुत खुश हुआ उसने जल्दी जल्दी अपना होमवर्क समाप्त करके मां के लौटने से पहले कुकीज खाने की सोची और इसके लिए चेतन एक स्टूल पर चढ़ गया और जार के अंदर हाथ डालकर ढेरों कुकीज निकालने की सोची पर जार का मुंह छोटा होने के कारण चेतन का हाथ जार में ही फस गया जिससे चेतन अपना हाथ बाहर नहीं निकाल पा रहा था
और उसी दौरान चेतन की मां बाजार से आ गई और जब उन्होंने चेतन को देखा तो हंसने लगी और अपने बेटे चेतन से कहा चेतन हाथ से ढेर सारी कुकीज को छोड़कर केवल दो या 3 कुकीज निकालो और चेतन ने मां की बात मान कर सिर्फ दो कुकीज हाथ में पकड़ी तो वह आसानी से अपना हाथ बाहर निकाल पाया
सिख
इस बात से हमें यह सीख मिलती है कि किसी भी चीज का लालच अच्छी बात नहीं है हमें हर चीज उतनी ही लेनी चाहिए जितनी हमें जरूरत हो
13. अहंकार : Hindi Short Stories for Class 3
बहुत समय पहले की बात है एक गांव में एक मूर्तिकार रहता था वह ऐसी मूर्तियां बनाता था जिसे देखकर हर किसी को मूर्तियों के जीवित होने का भ्रम हो जाता था आसपास के सभी गांव में उसका नाम था इसलिए उस मूर्तिकार को अपने कला पर बहुत ही अहंकार था मूर्तियां बनाते बनाते जीवन के सफर में एक ऐसा भी वक्त आया
जब मूर्तिकार को लगने लगा कि अब उसकी मृत्यु होने वाली है वह ज्यादा समय तक जीवित नहीं रह पाएगा जब उसे पता चला कि अब उसकी मृत्यु हो जाएगी
तो वह परेशानी में पड़ गया और यमदूत को भ्रमित करने के लिए उसने एक योजना बनाई जिसमें उसने अपनी जैसी दिखने वाली 10 मूर्तियां बनाई और उन मूर्तियों के बीच जाकर खड़ा हो गया यमदूत जब मूर्तिकार को लेने आया तो एक जैसी 11 मूर्तियों को देखकर दंग रह गया वे पहचान नहीं पा रहा था
कि इन मूर्तियों के बीच असली मनुष्य कौन सा है यमदूत सोचने लगा कि अब क्या किया जाए अगर मूर्तिकार की जान नहीं ली गई तो इस सृष्टि का नियम टूट जाएगा और सत्य परखने के लिए मूर्तियों को तोड़ा गया
तो कला का अपमान हो जाएगा तभी अचानक यमदूत को मानव स्वभाव के सबसे बड़े दुर्गुण अहंकार को परखने का विचार आया तभी मूर्तियों को देखते हुए यमदूत बोला कितनी सुंदर मूर्तियां है लेकिन अगर मूर्ति बनाने वाला मेरे सामने होता तब मैं बताता की मूर्ति बनाने में क्या गलती हुई है यह सुनकर मूर्तिकार का अहंकार जाग उठा
और वह सोचने लगा कि मैंने अपना पूरा जीवन मूर्ति बनाने में बिता दिया भला मुझसे गलती कैसे हो सकती है तभी मूर्तिकार बोला था कि केसी गलती और झट से यमदूत ने मूर्तिकार को पकड़ लिया और बोला बस यही गलती कर गए तुम की बेजान मूर्तियां बोला नहीं करती
सिख
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि अहंकार ने हमेशा इंसान को परेशानी और दुख के सिवा कुछ नहीं दिया तो अपने अहंकार को दूर कीजिए
14. गाय और बाघ के बीच सुंदर कहानी : Short Hindi Story
एक बार एक गाय घास चरने के लिए जंगल में गई और शाम होने वाली थी कि अचानक उसने देखा कि एक बाघ दबे पांव उस की ओर बढ़ रहा था गाय डर के मारे इधर-उधर भागने लगी और वह बाघ भी उसके पीछे दौड़ने लगा दौड़ते दौड़ते गाय को उसके सामने एक तालाब दिखा घबराती हुई गाय उस तालाब के अंदर घुस गए
और वह बाघ भी गाय के पीछे पीछे तालाब में घुस गया थोड़े वक्त के बाद उन्होंने देखा कि वह तालाब बहुत गहरा नहीं था उसमें पानी कम था लेकिन तालाब कीचड़ से भरा हुआ था उन दोनों के बीच दूरी काफी हो गई थी
लेकिन अब वह कुछ भी नहीं कर पा रहे थे क्योंकि वह धीरे-धीरे कीचड़ के अंदर धसने लग गए बाघ गाय के नजदीक होने के बावजूद भी कुछ नहीं कर पा रहा था क्योंकि वह भी कीचड़ के अंदर धस चुका था
दोनों गाय और बाघ कीचड़ के अंदर गले तक धस चुके थे दोनों हिल भी नहीं पा रहे थे थोड़ी देर बाद गाय ने बस बाघ पूछा क्या तुम्हारा कोई गुरु या मालिक है
बाघ ने गर्राते हुए कहा मैं इस जंगल का राजा हूं मेरा कोई मालिक नहीं मैं खुद ही अपना मालिक हूं तभी गाय ने बाघ से कहा तुम्हारी इस शक्ति का यहां पर क्या फायदा हो रहा है तुम तो कुछ भी नहीं कर पा रहे तभी बाघ ने कहा तुम भी तो यहां फसी हो तुम्हारी भी हालत तो मेरी ही जैसी है तभी गाय ने कहा बिल्कुल नहीं मेरा मालिक जब शाम को घर आएगा
और मुझे घर पर नहीं पायेगा तो वह मुझे ढूंढते हुए यहां जरूर आएगा और मुझे इस कीचड़ से निकाल कर अपने घर सही सलामत ले जाएगा लेकिन तुम्हें कौन ले जाएगा तभी थोड़ी देर बाद वहां एक आदमी आया
और गाय को कीचड़ में फंसी देखकर गाय को बाहर निकाला और अपने घर ले गया जाते समय गाय और उसका मालिक दोनों एक दूसरे की तरफ देख रहे थे वह चाहते हुए भी बाघ को कीचड़ से नहीं निकाल सकते थे क्योंकि उन्हें अपनी जान का खतरा था अगर वह बाघ को कीचड़ से निकाल देते तो वह उन दोनों को वही खा जाता
सिख
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि किसी पर निर्भर नहीं होना अच्छी बात है लेकिन मैं ही सब कुछ हूं मेरे आगे कोई नहीं यह अहंकार है और यहीं से विनाश की कड़ी शुरू हो जाती है ईश्वर से बड़ा इस दुनिया में कोई नहीं होता क्योंकि वही हर रूप में हमारी मदद करता है
15. सेब के पेड़ की कहानी : Story in Hindi Short
एक घने खूबसूरत जंगल के बीचों बीच एक सेब का पेड़ था और उसकी टहनियों पर कई सारे पक्षी रहा करते थे जो रस भरे सेब खाया करते थे और कई सारी चीटिया थी जो सेब लेकर अपने घर जाती थी
एक दिन जंगल में एक लक्कड़हारा आया और उसने सेब का पेड़ काटने की सोची सारे पक्षी और चीटिया उदास थी क्योंकि अब उनके रहने और खाने की जगह उनसे छीनने वाली थी तब पक्षी और चिटियो ने लक्कड़हारे से बिनती
की ये पेड़ मत काटिए ये पेड़ हमारे खाने और रहने का साधन है तभी लक्कड़हारा बोला ठीक है में ये पेड़ नही काटूंगा तभी पक्षियां बोली अरे वाह आप बहुत अच्छे है और पक्षियों ने मिलकर लक्कड़हारे को एक टोकरी सेब का भी दिया
सिख
इस कहानी से हमे ये सिख मिलती है की जानवरो और पक्षियों को भी रहने के लिए घर चाहिए इस लिए हमे ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए।
16. तीन मछलियों की कहानी : In Hindi Small Stories
बहुत समय की बात है तीन मछलियां एक खूबसूरत तालाब में रहती थी वो तीनो बहुत अच्छी दोस्त थी वो अपना पूरा समय तालाब में तैरते हुए खुशी खुशी बिताती थी ओर वो अच्छी अच्छी चीजे खाते थे जो पास के गांव से आती थी
एक दिन 2 मछुवारे तालाब के पास से गुजर रहे थे तब उनकी नजर उन मछलियों पर पड़ी तो उनमें से पहला मछुवारा बोला वो देखो अगर ये सारी मछलियां तालाब के ऊपर आ जाए तो मजा आ जायेगा मेरे ख्याल से इस तालाब में बहुत सारी मछलियां है
अगर हम इसमें जाल बिछाते है तो हमे बहुत सी मछलियां मिलेगी तो दूसरा मछुवारा बोला चलो कल आते है अपने जालो के साथ और जितनी चाहे उतनी मछलियां पकड़ेंगे तो पहला मछुवारा बोला ये बड़ा अच्छा सुझाव है हम इन मछलियो को बाजार में बेच कर ढेरो पैसे कमाएंगे उन तीनो मछलियो ने जब ये बात सुनी और आपस में बात करने लगी
हमे ये तालाब जल्द छोड़ना होगा वरना हम मारे जायेंगे तभी एक मछली बोली नही में यहाँ से नही जाऊंगी मेरा परिवार बहुत सालो से यहां रहता आ रहा है
और में चाहूंगी की मेरा बच्चा भी इसी तालाब में पैदा होकर बड़ा हो तो दूसरी मछली बोली थी है फिर में जा रही हू तो तीसरी मछली बोली ठीक है जाओ लेकिन में भी यही रुकूंगी और थोड़े देर बाद दूसरी मछली झरने से कूद कर दूसरे तालाब में चली गई और अब इस तालाब में दो दोस्त बचे दूसरे दिन सुबह दोनो मछुआरे बड़ा सा जाल लेकर तालाब में पहुंचे
और उन्होंने मछलियों को पकड़ने के लिए तालाब में जाल फैलाया और जाल में दोनो दोस्त भी फस गए जब मछुआरे ने जाल को बाहर निकाला तो पहला दोस्त छटपटाने लगा और दूसरा दोस्त बिलकुल शांत होकर पड़ा
रहा ऐसा लगा मानो वो मर गया हो और जब मछुआरे की नजर उस पर पड़ी तो बोला ओ मरी हुई मछली में इसे नही ले जाऊंगा और उसको मछुआरे ने पानी में फेक दिया और बाकी मछलियों के साथ पहली मछली को भी मछुआरे पकड़ कर ले गए
सिख
इस कहानी से हमे ये सिख मिलती है की भाग्य हमेशा होशियार का साथ देता है
17. कुआ किसका : Akbar Birbal Short Moral Stories in Hindi
एक बार एक किसान और उसका पड़ोसी अकबर के दरबार में अपनी शिकायत लेकर पहुंचे और किसान ने अपने पड़ोसी की ओर इशारा करते हुए अकबर से कहा महाराज मेने इससे एक कुआ खरीदा था लेकिन अब ये चाहता है
की में इसे कुएं के पानी का भी पैसा दू इस बात पर पड़ोसी बोला जी महाराज क्योंकि मेने इसे सिर्फ कुआ बेचा था पानी नहीं इस तरह दोनो दरबार में ही लड़ने लगे ऐसे में अखबार को जब कुछ न समझ आया तो उन्होंने
दोनो की बात सुनने के बाद बीरबल के सामने मामला निपटाने को कहा तब दोनों बीरबल के पास पहुंचे तब बीरबल ने पड़ोसी से कहा की तुमने अभी कहा की तुमने ये कुआ इस किसान को बेच दिया था इसका मतलब की ये कुआ इस किसान का हुआ
फिर भी तुम अपना पानी इसके कुएं में क्यू रख रहे थे क्या ये सही है अब इस मामले में तुमको या तो कुएं में पानी रखने का किराया देना पड़ेगा या अपना सारा पानी बाहर निकलना पड़ेगा इतना सुनते ही पड़ोसी ने माफी मांगी और उस मामले को वही रफा दफा करने की गुजारिश की ।
18. परिस्तिथी से समझौता : Hindi Stories Short
एक समय की बात है अध्यापक कक्षा में बच्चो को कुछ पढ़ा रहा था जिसके लिए अध्यापक ने एक छोटे बर्तन में पानी लिया और उसमे मेढक को डाल दिया पानी में जाते है मेढक उछल कूद करने लगा थोड़े देर बाद अध्यापक ने उस बर्तन को गैस पर रखवा दिया और उसे नीचे से गर्म करना शुरू कर दिया जैसे जैसे पानी गर्म हो रहा था
मेढक अपने आप को उस टेंपरेचर में एडजेस्ट कर रहा था टेंपरेचर धीरे धीरे बढ़ता जा रहा था और मेढक भी टेंपरेचर के हिसाब से अपने आप को एडजेस्ट कर रहा था
धीरे धीरे टेंपरेचर बढ़ता जा रहा था और एक समय ऐसा आया की पानी खोलने लगा और अब मेढक की छमता जवाब देने लगी बर्तन में रुके रहना अब पॉसिबल नही था जब मेढक ने देखा की अब पानी बहुत ज्यादा गर्म हो गया है तो उसने बर्तन से बाहर निकलने के लिए छलांग लगाई लेकिन वो ऐसा नहीं कर पा रहा था
मेढक अपनी पूरी ताकत लगाने के बाबजूद भी उस पानी से भरे बर्तन से बाहर नहीं निकल पा रहा था क्योंकि मेढक ने पानी के टेंपरेचर में खुद को एडजेस्ट करते करते अपनी ताकत खो चुका था
कुछ ही देर में पानी से बाहर न आ पाने की वजह से मेढक उसी में मर गया अब अध्यापक ने बच्चो से पूछा मेढक को किसने मारा बच्चो ने कहा पानी ने लेकिन अध्यापक ने बच्चों से कहा मेढक को पानी ने नही मारा
वो तो उसकी सोच ने ही उसको मारा है सभी बच्चे कन्फ्यूज्ड हो गए और अध्यापक से पूछने लगे वो केसे तब अध्यापक ने बच्चो से कहा की जब मेढक को छलांग मारने की आवश्यकता थी तब वो अपने आप को पानी के टेंपरेचर के हिसाब एडजेस्ट करने की कोशिश में लगा रहा उसने तब अपनी छमता का प्रयोग नहीं किया
लेकिन जब तापमान बढ़ गया तब वह कमजोर हो गया उसने अपनी सारी शक्ति टेंपरेचर को एडजेस्ट करने में लगा इसलिए उसने अपनी जान गवा दी
सिख
इस कहानी से हमे ये सिख मिलती है की हम हमेशा अपनी परिस्तिथियो से समझौता करने में लगे रहते है और उन परिस्तिथियो से तब तक निकलने का प्रयास नही करते जब तक हमारी परिस्तिथि कुछ ज्यादा ही खराब नही हो जाती
19. कोआ और लोमड़ी : Story Writing Hindi
बहुत समय पहले जंगल में एक कोआ रहता था एक दिन वो बहुत भूखा था वो पूरे दिन खाने की तलाश में उड़ता रहा कुछ देर उड़ने के बाद उसे पास में एक गांव दिखा उसे उम्मीद था की कुछ न कुछ खाने को वहा मिल ही जायेगा
और सच में अचानक कोआ को चिज़ का एक बड़ा सा टुकड़ा. खिड़की पर रखा हुआ दिखाई दिया तब कोआ सोचने लगा क्या ये चिज़ में यही खा लू नही ये अच्छा आइडिया नही है अच्छा होगा की में इसे जंगल में जाकर खाऊ और कोआ चिज़ को लेकर जंगल की ओर उड़ गया उसी जंगल में एक बहुत चालाक लोमड़ी रहती थी
और वह भी बहुत भूखी थी लोमड़ी ने कोआ को पेड़ पर बैठे चिज़ खाते देख लोमड़ी बोली आ जिसका मुझे इंतजार था स्वादिष्ट चीज का टुकड़ा मुझे ये कौवे से लेना ही पड़ेगा वैसे तो ये आसन लगता है क्योंकि कोवा बेवकूफ लग रहा है चलो में कौए से बात करती हु
लोमड़ी – हेलो कोआ जी कितनी खूबसूरत चोंच है आपकी तुम्हारे काले खूबसूरत पंख तुम्हारी खुबसूरती बढ़ा रही है और मुझे लगता है की तुम इस जंगल के सबसे सुंदर पक्षी हो देखो कितनी कितनी सुंदर आंखे है और तुम्हारी खूबसूरत चोंच है
कोआ – सोचने लगता है वैसे लोमड़ी ठीक ही कहती है में एक सुंदर पक्षी हु।
लोमड़ी – तुम्हारी आवाज भी बहुत खूबसूरत होगी कोयल और बुलबुल तुम्हारे सामने कुछ भी नही होगी तुमने कभी कोशिश की है गाने की तुम्हारी सिंगिंग को तो अवॉर्ड ही मिल जायेगा
कोआ – सोचने लगा शायद लोमड़ी ठीक ही कह रही है मैने कभी सिंगिंग ट्राय नही की शायद मुझे करना चाहिए। और जैसे ही चोंच खोल कर कोआ गाना शुरू करता है तभी कोवे के चोंच का चीज का टुकड़ा नीचे गिर जाता है और झट से लोमड़ी उठा कर खा जाती है
लोमड़ी – कोई बात नही कौवे जी में आज थोड़ी बीजी हू कभी और तुम्हारा गाना जरूर सुनूंगी ये कहकर लोमड़ी वहा से चल देती है।
सिख
इस कहानी से हमे ये सिख मिलती है की बहुत से लोग आपकी बिना मतलब के तारीफ करेंगे और उसके बाद आपका फायदा उठाएंगे
20. सुअर के पंख नहीं होते : Short Stories Hindi
एक बार की बात है फॉर्म में स्टेच नाम का सुअर रहता था वो बहुत ही महत्वाकांक्षी था और उसकी सबसे बड़ी इक्षा उड़ने की थी स्टेच अपने आप से कहने लगा मुझे उड़ना है में क्यू नही उड़ सकता
अगर पक्षी उड़ सकते है तो में भी ये कर सकता हु पक्षी उड़ते है क्योंकि उनके पास पंख है लेकिन आदमी भी तो उड़ते है लेकिन उनके पास पंख नही है तो अगर आदमी नकली पंख लगा सकते है तो में क्यों नहीं हा में भी अपने लिए पंख बनाऊंगा और में जानता हु की किस चीज से अपने लिए पंख बना सकता हु।
और उसी दिन से स्टेच पक्षियों के पंखो को इकट्ठा करना शुरू कर दिया जब भी कोई पक्षी आसमान से जमीन पर अपने पंख गिरता तो स्टेच उन पंखों को उठा लेता देखते ही देखते स्टेच के पास खूब सारे पंख हो गए
स्टेच अब मेरे पास खूब सारे पंख हो गए है अब में अपने प्लान का अगला हिस्सा शुरू करता हु तो सुअर फॉर्म में जाकर सुई और धागा ले आया और पंखों को सिलने लगा ये सब देख कर स्टेच के पास चूहा आया और बोला स्टेच तुम ये क्या कर रहे हो
स्टेच – तुम देखते जाओ दोस्त अब में खुले आसमान में कैसे उडूंगा हु चूहा बोला क्या आसमान में उड़ोगे तुम पागल हो गए हो क्या तुम्हे पता नही की सुअर उड़ नही सकते
स्टेच – तुम अपना मुंह बंद रखो चूहे और मुझे अपना काम करने दो फिर अगले दिन स्टेच अपने पंखों को सिलकर पहाड़ की सबसे ऊंची चोटी पर पहुंच गया और अपने दोस्तो से बोलने लगा आज में भी देखूंगा की आसमान में उड़कर केसा महसूस होता है
तभी दौड़ता दौड़ता चूहा स्टेच के पास आया तुम पागल हो क्या तुम्हे पता नही की सुअर उड़ नही सकते चलो नीचे चलो
स्टेच ने चूहे और धक्का देते हुए बोला दूर हटो छोटे चूहे आज तो में खुले आसमान में पक्षियों की तरह उडूंगा और जैसे ही सुअर पहाड़ से छलांग लगाकर उड़ता है की सीधा नीचे जमीन की ओर तेजी से गिरता है
स्टेच – अरे ये क्या हो रहा है में उड़ क्यू नही पा रहा अरे अरे और सीधा सुअर जमीन पर जा गिरता है और मर जाता है
सिख
इस कहानी से हमे ये सिख मिलती है की इसमें गलती चूहे की नही बल्कि उस बेवकूफ थी कभी भी अपना पूरा समय एक बेवकूफ के पीछे नहीं व्यर्थ करना चाहिए अगर वो हमारी सलाह नही लेना चाहते तो उन्हे उनके मन की करने दो।
21. दो आलसी की कहानी : Simple Short Motivation Stories in Hindi
गर्मी का दिन था और दोपहर का समय 2 अलसी आदमी सुबह सुबह आए और आम के पेड़ के निचे सो गए धूप पत्तो से छन छन कर ऊपर पड़ रही थी लेकिन फिर भी वो अलसी नही उठे जहा थे वही पड़े रहे
तभी दोनो एक बीच एक पका आम आ गिरा आम सुनहरे रंग का था एक ने दूसरे से कहा एक काम करो यह आम उठा कर मेरे मुंह में डाल दो देखू तो कैसा है
तभी दूसरे ने कहा अरे केसे उठू कुत्ता मेरा मुंह चाट रहे है पहले तुम इसे हटा दो तभी वहा से एक ऊंट वाला जा रहा था तब पहले आलसी ने पुकारा ओ ऊंट वाले भाई जरा इधर आना ऊंट वाला भला आदमी था वह आया
और पूछा हा भाई बोलो क्या बात है तो पहला आलसी बोला अरे भाई जरा ये आम उठाकर मेरे मुंह में डाल दो तो ऊंट वाला बोला अच्छा तो इसी के लिए तुमने इतनी दूर से बुलाया था बगल में पड़ा आम भी तुमसे उठाया नही जाता बड़े आलसी जान पड़ते हो आलसी की तो भगवान भी मदद नही करता ऊंट वाला बोला
तो पहला आलसी बोला और तुम क्या कम आलसी हो जो इतनी दूर आकर भी इतना छोटा सा भी काम नही कर सकते फिर ऊंट वाले ने बोला जो हांथ पैर नही हिलाता उसका भला भगवान भी नही करता यह कह कर ऊंट वाला चला गया और आम दोनो आलसियो के बीच पड़ा रहा और दोनो किसी का इंतजार करते रहे की कोई आकर मुंह में खिलाएगा
22. लोहे का तराजू : Simple Short Motivation Stories in Hindi
एक गांव में लक्ष्मण नाम का बनिया रहता था धन की खोज में लक्ष्मण ने प्रदेश जाने का विचार किया और मन ही मन सोचने लगा मेरे पास कोई विशेष संपति तो है नही केवल एक मन भारी लोहे को तराजू है
एक काम करता हु इस तराजू को महाजन के पास धरोहर रख देता हु और प्रदेश से आकर ले लूंगा ये सोचकर लक्ष्मण महाजन के पास पहुंचा
महाजन – आओ लक्ष्मण आज इतने दिनो बाद केसे आना हुआ
लक्ष्मण – में प्रदेश जा रहा हु और ये तराजू आपके पास धरोहर रखने आया हु लोट कर ले लूंगा
महाजन – कोई बात नही लक्ष्मण जैसा तराजू देकर जा रहे हो वैसा ही तुम्हे वापस मिलेगा शुभ यात्रा
लक्ष्मण ऊंट पर बैठ कर प्रदेश पहुंचता है और प्रदेश में कपड़े बेचने का काम करता है माधोपुर के मशहूर जुलाहे के हाथों से बना हुआ कपड़ा ले लो कपड़ा ले लो ऐसे बोलते हुए लक्ष्मण मार्केट में कपड़े बेचता था
लक्ष्मण – भगवान की दया से अब इतना पैसा हो गया है की में गांव जाकर आराम से रह सकता हु और लक्ष्मण अपने गांव पहुंचता है और सीधा महाजन के पास पहुंचता है और बोलता है महाजन जी मेरा तराजू
महाजन – तुम बहुत समय के बाद लोटे हो वो तराजू को तो चूहे खा गए
लक्ष्मण – लक्ष्मण समझ गया था की महाजन तराजू देना नही चाहता किंतु अब उपाय तो कोई नही था कुछ देर सोचने के बाद लक्ष्मण ने कहा कोई चिंता नहीं चूहे खा गए तो चूहों का दोष है आपका नही आप इसकी चिंता न करो यह बोलकर लक्ष्मण कहता है महाजन जी में नदी में स्नान करने का रहा हु आप अपने पुत्र श्याम को मेरे साथ भेज दो वो भी नहा लेगा
महाजन – हा ये अच्छा विचार है में अभी उसे बुलाता हू श्याम बेटा श्याम महाजन अपने बेटे से कहता है बेटा लक्ष्मण स्नान करने नदी पर जा रहा है तुम भी साथ चले जाओ और स्नान कर आओ
महाजन का बेटा और लक्ष्मण दोनो स्नान करने जंगल की ओर बढ़ने लगे तभी लक्ष्मण ने श्याम से कहा यहाँ नजदीक में एक गुफा है जिसमे शिव जी का मंदिर है चलो वहा चलकर दर्शन कर आते है
श्याम बोला जेसी आपकी इच्छा दोनो गुफा में पहुंचते है और लक्ष्मण श्याम को गुफा के अंदर भेज कर बाहर से एक बड़े पत्थर से गुफा का मुंह बंद कर देता है श्याम चिल्लाता है ये तुम क्या कर रहे हो मुझे बाहर निकालो में तुम्हारी शिकायत पिताजी से करूंगा तुम्हे दंड दिलवाऊंगा निकालो मुझे यहां से लेकिन लक्ष्मण बाहर से पत्थर लगा कर चल देता है और महाजन के पास पहुंचता है
महाजन – मेरा लड़का कहा है वो भी तो तेरे साथ स्नान के लिए गया था वो कहा है लक्ष्मण – बोला उसे तो चील उठा कर ले गई महाजन – ये केसे हो सकता है कभी चील भी इतने बड़े बच्चे को उठाकर ले जा सकती है क्या
लक्ष्मण – बोला अरे जब चील बच्चे को उठाकर नही ले जा सकती तो चूहे भी एक मन भारी लोहे को तराजू को नही खा सकते न अगर तुझे बच्चा चाहिए तो तराजू निकाल कर दे महाजन – बोला ये कैसा बेतुका तर्क है अब इसका फैसला न्याय अधिकारी ही करेंगे लक्ष्मण – ये ही सही है तो फिर चलो राजमहल दोनो राजमहल पहुंचते है महाजन – न्याय अधिकारी ही इस बनिया ने मेरा लड़का चुराया न्याय अधिकारी – लक्ष्मण इसका लड़का इसको दे दो
लक्ष्मण – महाराज उसे तो चील उठाकर ले गई
न्याय अधिकारी – क्या कभी चील भी किसी बच्चे को उठा कर ले जा सकती है लक्ष्मण – महाराज जब एक मन भारी लोहे को तराजू को चूहे खा सकते है तो चील भी बच्चे को उठाकर ले जा सकती है न्याय अधिकारी – ये क्या बात हुई
लक्ष्मण – न्यायधीश प्रदेश जाने से पहले मैने अपना एक मन लोहे का तराजू महाजन के पास धरोहर रख कर गया था लोट कर आता तो ये बोला उसे चूहे खा गए तो अगर एक मन भारी लोहे की तराजू को चूहे खा सकते है तो एक बच्चे को भी चील उठाकर ले जा सकती है न्याय अधिकारी – बात तो बिलकुल ठीक है महाजन – ये क्या बात हुई
न्याय अधिकारी – तुम चूहों के पेट से इसका तराजू लाकर देदो तो ये चील से तुम्हारा बच्चा लाकर दे देगा
सिख
इस कहानी से हमे ये शिक्षा मिलती है को जेसी करनी वैसी भरनी जैसा बीज बोओगे वाली पाओगे
23. हांथी और तोता : Hindi Short Stories for Class 4
एक तोता बहुत लंबे समय से पिंजरे में कैद होकर तंग आ चुका था वह खुले आसमान में उड़ना चाहता था बहुत प्रयत्न कर करने के बाद एक दिन अचानक तोता पिंजरे से निकलकर खुले आसमान में उड़ गया
और जंगल में जा पहुंचा तोते को जंगल का वातावरण बहुत पसंद आया हर रोज तरह-तरह के मीठे फल खाने को मिलते पागल जैसे चलती फिरती जंगल के चारों ओर घूमती रहती थी और अपने जीवन को सुखी पूर्वक जी रही थी
1 दिन तोते को एक पेड़ के नीचे सोता हुआ बड़ा सा हाथी दिखाई दिया और उस हाथी को देखकर तोते के मन में एक नटखट सा विचार आया तोता हाथी को परेशान करके नींद से उठाना चाहता था और
तोता सीधे पेड़ के निचे बैठे हांथी के सूंड पर अपने चोंच से चुभाने लगा उस चोट से हांथी जग गया और आँखे खोल के देखता है तो तोता पेड़ पर बैठा हसने लगा हांथी नाराज होकर तोते से कहा तुम्हे क्या परेशानी है तो तोता ने जवाब दिया अरे में तो मजाक कर रही थी मेरे दोस्त
और हसने लगी हांथी को इससे को फरक नहीं पड़ा और आंखे बंद करके हांथी को कोई फरक नहीं पड़ा और आँखे बंद करके फिर से हांथी सो गया और कुछ देर बाद तोता फिर से आकर हांथी के सूंड पर चुभा और तुरंत उड़कर पेड़ पर चली गयी हांथी गुससे से चिल्लाया अरे तेरे पास कोई काम नहीं है क्या तोता फिर हसने लगा
हांथी कुछ नहीं करना चाहता था इसलिए वह पेड़ के पास से उठ कर चल दिया तभी तोते ने एक बार फिर अपनी चोंच से हांथी को चुभाया हांथी क्रोधित हो गया
और सोचने लगा कुछ न कुछ करके तोते को सबक सीखना ही होगा और तभी हाथी अपने सिर को छोड़ पूरे शरीर को तलाब में डूबा लेता है उसको देख तोते को बहुत मजा आने लगा और वे सोचने लगी कि
अरे देखो इतना बड़ा हाथी मुझसे डर के अपने आप को पानी में छुपा रहा है और तोता फिर से वहां जाकर हाथी के सिर पर बैठ जाता है और हाथी को चुभाने के लिए अपना चोंच उठाती है हाथी पहले से ही अपने सूंड में पानी भरकर रखता है
और तोता अपना चोंच हाथी की सूंड में चुभाने ही वाला था की इतने में हाथी ने झटके से अपनी सूंड से पानी का झोका तोते के ऊपर मारा तोते को बहुत जोर से लगा और तोता तालाब की दूसरी ओर पानी में जा गिरा और तड़पने लगा यह देख हाथी को तोते पर दया आ गई और हाथी ने तोते को बाहर निकाल कर जमीन पर रख दिया
उसके बाद तोते ने हाथी से क्षमा मांगी क्योंकि तोते को आज एक बहुत ही अच्छा सबक मिला था और हाथी हंसकर वहां से चला गया और तोते को बड़े और छोटे के बीच में अंतर पता चल गया था
सिख
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि मजा करने का भी एक हद होता है उसे जानकर व्यवहार करे अगर दूसरों से आदर चाहते हो तो पहले दूसरों का आदर करना सीखो
24. सुरीली कोयल :Hindi Short Stories with Moral
एक बार की बात है जंगल में बहुत दूर एक कोयल रहती थी जैसा की हम सब जानते है की कोयल बहुत अच्छा गाती है और ये कोयल भी एक अच्छी सिंगर थी दोपहर के वक्त जब सारा जंगल सोने लगता था
तो कोयल अपनी मीठी आवाज में गाना सुनाती थी और जब भी कोयल गाती तो सारे जंगल का रंग रूप ही बदल जाता सारे जानवर कोयल का गाना सुनकर मस्ती में झूमने लगते यहाँ तक की जंगल के बड़े बड़े जानवर भी कोयल का गाना बहुत पसंद करते थे
और क्योंकि सभी जंगल के जानवर कोयल की तारीफ करते थे तो जंगल की कुछ पक्षी उसकी प्रसंशा पसंद नहीं करते उससे बहुत जलते थे और एक दिन जंगल के सभी पक्षियों ने मिलकर योजना बनाई की कोयल अकेली है
और हम बहुत सारे चलो उसको इस जंगल से भागा देते है और फिर उन पक्षियों ने बेचारी कोयल को परेशान करना शुरू कर दिया और अंत में पक्षियों ने कोयल को जंगल से दूर भागा दिया लेकिन असली परेशानी तो अगले दिन शुरू हुई
सभी बड़े जानवर परेशान होने लगे और सोचने लगे की आज कोयल गाना क्यू नही गा रही सारे जानवर बोर होने लगे और जब इन बड़े जानवरो के पास कुछ करने के लिए नही था तो उन्होंने अपने मजे के लिए छोटे जानवरो को मरना शुरू कर दिया
सारे जंगल में मारधाड़ शुरू हो गया और उन्होंने पक्षियों को भी नही छोड़ा हा वोही पक्षी जिन्होंने जंगल से कोयल को भगा दिया था फिर अंत में वो पक्षी सोचने लगे अरे नहीं हमने कितनी बड़ी गलती कर दी।
सिख
इस कहानी से हमें ये सिख मिलती है की कलाकार बहुत जरूरी है हमे उनकी जरूरत है वो हमारा मनोरंजन करते है और ऐसा करके वो हमारे समाज में शांति बनाए रखते है बिना कला के समाज में उथल पुथल हो जायेगी और फिर हममे और जानवरो में कोई फर्क नहीं होगा।
25. मजदूर ही भला : Motivational Short Moral Stories in Hindi
एक बार की बात है एक मजदूर पत्थरों को तोड़ कर छोटे छोटे टुकड़े किया करता था वह बेहद ईमानदार था और परिश्रमी भी सारा दिन काम करके जो मजदूरी मिलती थी उससे अपना गुजारा करता था
और खुश भी रहता था मजदूर भगवान शिव को बहुत मानता था काम करने के पश्चात जो समय मिलता उसे वो भगवान की पूजा अर्चना में लगा देता था एक शाम वो काम से लौटा और खाना खाने के बाद भगवान को याद करके सो गया। सपने में भगवान शिव ने मजदूर को दर्शन देते हुए
कहा में तुमसे बहुत खुश हु मांगो क्या मांगते हो मजदूर बड़ा भोला था उसने कहा भगवान मुझे एक छायादार वृक्ष बना दो फिर भगवान ने उसे छायादार वृक्ष बना दिया और थोड़ी देर बाद सूरज की गर्मी से वृक्ष के सारे पत्ते सूखकर झड़ गए
तब उसे लगा कि सूरज अधिक शक्तिशाली है फिर मजदूर ने शिव जी को याद किया और कहा भगवान मुझे सूरज बना दो अगले ही पल भगवान ने उसे सूरज बना दिया सूरज बनने के बाद वह तेजी से चमकने लगा
और तभी बादलों ने उसे घेर लिए तब सूरज को लगा की बादल ज्यादा शक्तिशाली है तो उसने फिर प्राथना की है भगवान मुझे बादल बना दो बादल बनने के बाद वह घूमने लगा और तभी एक तेज हवा का झोका आया और उसे उड़ाकर ले गया मजदूर को लगा हवा ज्यादा शक्तिशाली तो उसने भगवान से कहा भगवान मुझे हवा बना दो अगले ही
पल भगवान ने उसे हवा बना दिया हवा बनकर वो तेजी से यहां वहा उड़ने लगा की अचानक उसके रास्ते में एक विशाल पर्वत आ गया और उस हवा को आगे ही नही बढ़ने दे रहा था उसे लगा की पर्वत उससे ज्यादा शक्तिशाली है
तब उसने भगवान से पर्वत बनाने की प्राथना की भगवान ने उसे पर्वत बना दिया थोड़ी देर के बाद उसे पेरो में चुभन हुई उसने देखा की एक मजदूर छेनी हथौड़ी से उसे तोड़ रहा है ये देखकर उसे अपने आप पर बहुत शर्म आई और उसने सोचा कि पर्वत से ज्यादा शक्तिशाली तो मजदूर है और तभी उसकी आंखे खुल गई
और ये जान कर उसे बड़ी खुशी हुई की वो मजदूर है तब उसने भगवान का शुक्रिया किया और कहा है भगवान में मजदूर ही भला
सिख
इस कहानी से हमे ये सिख मिलती है की भगवान ने जिसे जैसा बनाया है वो उसी के लिए बना है।
26.फूटा घड़ा : Short Moral Stories in Hindi For Class 5
एक गांव में रजत नाम का किसान था उसका एक छोटा सा खेत था रजत के पास 2 मिट्टी के घड़े थे जिससे वह रोज अपने घर पानी लेकर आता था लेकिन उनमें से एक घड़ा फुट चुका था नदी से पानी लाने के जिसके वजह से एक घड़ा भरा हुआ रहता था
और दूसरा आधा ही भरा रहता था फूटा घड़ा बहुत ही शर्मिंदा था की वो आधा ही पानी घर पहुंचा पता है सही घड़े को इस बात का बड़ा घमंड था की वो पूरा का पूरा पानी घर पहुंचता है इसलिए वो फूटे घड़े को कहता है तू आधा पानी लाकर मालिक की मेहनत को बेकार कर देता है ये सुनकर फूटे घड़े को बहुत दूर होता है
इस तरह दोनो घड़ों की बाते सुनकर रजत फूटे घड़े को कहता है तुम सिर्फ अपनी बुराई देख रहे हो लेकिन में शुरू दे ही उस बुराई में छिपी अच्छाई को देख रहा हु इसलिए मुझे कभी भी तुममें बुराई नही दिखी तुम्हे इस क्यू लगता है की तुम मेरे किसी काम के नही हो जाने अंजाने में तुमने मेरी बहुत मदद की है
फूटा घड़ा – पर वो केसे
रजत – रोज जब हम नदी से वापस आते है तो तुम्हारा आधा पानी उस जमीन पर गिरता है जिससे वहा फूलों को उगने में मदद मिलती हैं तो तुम केसे कह सकते हो की तुम मेरे किसी काम के नही हो
फूटा घड़ा – इन सब में आपकी मदद केसे हुई
रजत – वो ऐसा है की अब में खेती के साथ साथ उन फूलो को भी खेतो में बेचने लगा हु जिससे मेरे पास और अधिक धन अर्जित हो रहा है और उस धन से में खेत के लिए ज्यादा और अच्छे बीज खरीद लेता हु और ये सब तुम्हारी वजह से ही हुआ है इसलिए आज से तुम अपने आप को कभी भी कम मत समझना
सिख
इस कहानी से हमे ये सिख मिलती है की हमे किसी के भी हुनर का मजाक नहीं बनाना चाहिए बल्कि उसके अच्छाई को ढूंढकर और अधिक निखारना चाहिए
27. लालच से बचो : Hindi Short Stories with Moral
एक गांव में रामू नाम का ग्वाला रहता था रोज सुबह वो अपनी गायो को चराने के लिए जंगल में ले जाया करता था रामू अपनी हर गाय के गले में घंटी बांध कर रखता था जो गाय जितनी सुंदर होती उसके गले की घंटी उतनी ही कीमती होती
एक दिन एक अजनवी जंगल से गुजर रहा था तभी गायों को देख वो अजनबी रामू के पास पहुंचा और बोला ये घंटी बड़ी सुंदर है क्या कीमत है इसकी 20 रूपए रामू ने बोला अजनबी बस सिर्फ 20 रुपए में तुम्हे इस घंटी के 40 रुपए दे सकता हु
ये सुनकर रामू खुश हो गया और झट से घंटी निकालकर अजनबी के हांथ में थमा दिया और पैसे अपने जेब में रख लिया अब गाय के गले में कोई घंटी नही थी घंटी की आवाज से रामू को अंदाजा हो जाता था
की उसकी गाय कहा है लेकिन अब इसका अंदाजा लगाना रामू के लिए मुश्किल हो गया था की गाय कहा चर रही है जब चरते चरते गाय जंगल मे दूर निकल आई
तो अजनबी को मोका मिल गया और वह गाय को लेकर अपने साथ चल पड़ा तभी रामू ने ये सब अपनी आखों से देखा और रोते हुए घर पहुचा और अपने पिताजी को सारी बात सुनाई रामू – मुझे अंदाजा भी नहीं था की वो अजनबी मुझे घंटी के इतने अच्छे पैसे देकर ठग ले जायेगा
पिताजी – कोई बात नही बेटा जो होना था वो हो गया लेकिन तुमने आज यह सबक सीखा है की ठगी और लालच का सुख बहुत ही खतरनाक होता है पहले वो हमे खुशी देता है फिर दुख
28. एकदम नया सांप : Short Animal Stories in Hindi
स्कैली नाम का एक छोटा सांप था जो जंगल में रहता था और वो बहुत शरारती था स्कैली जंगल में अपने पापा के साथ रहता था
पापा – बस बहुत खेल लिए चलो अब शाम हो गई घर में आ जाओ
स्कैली – ठीक है पापा में अभी आती हूं।लेकिन एक दिन स्कैली बहुत बैचेन होने लगी
पापा – आज तुम इतनी बैचेन क्यू हो स्कैली
स्कैली – पता नही पापा लेकिन मेरे पूरे शरीर में खुजली हो रही है
पापा – स्कैली तुम साफ सफाई तो रखती हो न
स्कैली – हा पापा में दिन में 2 बार अपने आप को मिट्टी में रगड़ता हु फिर अगले दिन स्कैली की खुजली और ज्यादा बढ़ गई
स्कैली – मेरे शरीर में बहुत दर्द हो रहा है पापा ऐसा क्यों हो रहा है मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा
पापा – मुझे पता है तुम्हे क्या हो रहा है अब तुम बड़े हो रहे हो
स्कैली – लेकिन पापा मुझे सहन नही हो रहा फिर अचानक एक दिन बहुत अजीब घटना हुई
स्कैली – पापा पापा ये देखो मुझे क्या हो रहा है ये दर्द बढ़ता जा रहा है
पापा – क्या हुआ फिर पापा ने देख की छोटे सांप की चमड़ी निकल रही थी ओ अब में समझ गया ऐसा क्यों हो रहा है
स्कैली – आपको तो जरा भी मेरी फिक्र नहीं है मेरा दर्द बढ़ता जा रहा है पापा
पापा – एक काम करो तुम्हे वो पत्थर दिख रहा है जाओ जाकर उसमे अपने शरीर को रगड़ो
स्कैली – क्या लेकिन क्यू पापा इससे तो मुझे बहुत दर्द होगा
पापा – में जो कह रहा हु तुम बस वो करो फिर स्कैली की और देखती है पापा अभी जाओ अभी फिर स्कैली जाकर अपने आप को पत्थर में रगड़ने लगती है और तभी स्कैली देखती है की उसके शरीर से चमड़ी निकल जाती है और स्कैली का पूरा शरीर सुंदर और नया हो जाता है
स्कैली – पापा ये तो जादू है में तो बिलकुल नया हो गया
पापा – हा मेरी बच्ची ये जो अभी तुम्हारे साथ हुआ ये हम सांप के बड़े होने की प्रक्रिया है हम अपनी पुरानी चमड़ी से ढके होते है और दर्द को सहन करते है और पत्थर के द्वारा रगड़ कर हम अपनी पुरानी चमड़ी से नई चमड़ी में आ जाते है
सिख
इस कहानी से हमने से सीख की संघर्ष हमेशा कुछ अच्छा ही लेकर आता है
29. सच्चाई की जीत : Cute Inspirational Short Moral Stories in Hindi
एक गांव में नंदा नाम की एक गाय थी वह घास खाते खाते अपने झुंड से बिछड़ गई और जंगल में जा पहुंची वहा जंगल में एक बाघ बैठा था और गाय को देख बाघ गुर्राते हुए गाय की ओर बढ़ा बाघ को देख नंदा की तो सिटी पीटी ही गुल हो गई
और वो अपने नन्हे बछड़े के बारे में सोचती हुई रोने लगी तभी बाघ बोला मालूम होने के बाबजूद भी तुम मेरे इलाके में केसे आ पहुंची लगता है तुम्हे अब जीवन से प्यार नहीं रहा नंदा ने गिड़गिड़ाते। हुए कहा
मुझे छमा करो में अपने बच्चे के लिए रो रही हू वो अभी बहुत छोटा है मेरे न रहने पर जाने उसकी क्या दशा होगी में उसे दूध पिलाना चाहती हू तुम अगर मुझे थोड़ी देर की महोलत दो तो में उसे प्यार कर और उसके हित का उद्देश्य देकर लौट आऊंगी फिर तुम मुझे खा जाना बहुत सी कसमें और विश्वास दिलाने के बाद नंदा को बाघ ने छोड़ दिया
नंदा दौड़ते हुए अपने बछड़े के पास गई और उसे जी भरकर दूध पिलाया और सभी गयो और बछड़े को बाघ को दी हुई कसमें भी बताई सभी ने नंदा को वापस जाने से मना किया लेकिन वो मानी नही सत्य की रक्षा के लिए वो चली गई
उसका बछड़ा और सभी गाय रोती रही और नंदा बाघ के पास पहुंच गई और बाघ से बोली में सत्य धर्म का पालन करती हु इसलिए में आ गई हु अब तुम मेरे मांस से अपने इच्छा की पूर्ति करो नंदा
की ये सच्ची निष्ठा को देख बाघ आश्चर्य चकित हो गया और बोला की सत्य की परीक्षा के लिए ही मेने तुम्हे छोड़ा था तुम्हारे धर्म निष्ठा ने मेरे जीवन को बदल दिया आज से तुम मेरी बहन हो
30. मोटिवेशनल स्टोरी : Inspirational Short Moral Stories in Hindi
एक बार एक बच्चे ने अपने पापा से पूछा कि पापा मेरी लाइफ की क्या वैल्यू है तभी पापा ने कहा अगर तुम सच में अपनी जिंदगी की किमत समझना चाहते हो तो मैं तुम्हें एक पत्थर देता हूं इस पत्थर को लेकर तुम मार्केट में चले जाना
और अगर तुमसे कोई इसकी कीमत पूछे तो कुछ मत करना सिर्फ अपनी तो उंगली खड़ी कर देना उसके बाद वह लड़का मार्केट गया और मार्केट में कुछ देर तो लड़का ऐसे ही बैठा रहा लेकिन कुछ देर बाद एक बूढ़ी औरत उसके पास आई
और उस पत्थर की कीमत पूछने लगी वह लड़का बिल्कुल चुप रहा उसने कुछ नहीं कहा बस अपनी दो उंगली खड़ी कर दी तभी वह बूढ़ी औरत बोली ₹200 ठीक है मैं तुम्हें ₹200 दूंगी यह पत्थर तुम मुझे दे दो वह बच्चा एकदम चौक गया सोचने लगा कि एक पत्थर की कीमत ₹200 वह लड़का तुरंत अपने पापा के पास गया
और बोला पापा मुझे मार्केट में एक बूढ़ी औरत मिली थी वो मुझे इस पत्थर के ₹200 देने को तैयार हो गई पापा ने कहा इस बार तुम इस पत्थर को म्यूजियम में लेकर जाना
और अगर कोई इसका प्राइस पूछे तो कुछ मत कहना सिर्फ अपनी दो ऊँगली उठा देना उसके बाद लड़का म्यूजियम में गया और म्यूजियम में एक इंसान की नजर लड़के के हाथ में रखे पत्थर पर पड़ी उसने प्राइस पूछा लड़का बिल्कुल चुप रहा और अपनी बस दो उंगलियां उठाई तब वह आदमी बोला 20,000 ठीक है
मैं तुम्हें इस पत्थर के 20,000 दूंगा तुम यह पत्थर मुझे दे दो वह लड़का फिर से चौक गया और सीधा अपने पापा के पास गया और बोला पापा मुझे म्यूजियम में एक आदमी इस पत्थर के ₹20000 देने के लिए तैयार है
तब उसके पापा ने कहा अब मैं तुम्हें एक आखिरी जगह भेजने जा रहा हूं और अब तुम्हे जाना है कीमती पत्थरों की दुकान में और अगर वहां पर कोई तुमसे इसकी कीमत पूछे तो तुम कुछ मत कहना बस अपनी तो उंगलियां खड़ी
कर देना लड़का कीमती पत्थरों की दुकान पर गया और उसने देखा दुकान के काउंटर के पीछे एक बूढ़ा आदमी था जैसे ही उस बूढ़े आदमी की नजर लड़के के हाथ में रखे पत्थर पर पड़ी तो वह दौड़कर लड़के के पास आया और लड़के के हाथ से पत्थर छीनते हुए बोला ओ माय गॉड सालों से इसकी तलाश कर रहा था तुम्हें कहां से मिला
और क्या कीमत है इसकी वह लड़का तब भी चुप रहा और बस अपनी दो उंगली खड़ी कर दी तब बूढ़ा बोला बोला कितना ₹200000 ठीक है मैं तुम्हें इस पत्थर के 200000 दूंगा तुम यह पत्थर मुझे दे दो प्लीज लड़के को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ लड़का सीधा भागकर अपने पापा के पास गया
और बोला पापा पत्थर की दुकान में एक बूढ़ा आदमी मुझे इस पत्थर के लिए ₹200000 देने के लिए तैयार है तब उसके पिता ने कहा अब समझे तुम अपनी लाइफ की वैल्यू तुम्हारी लाइफ की वैल्यू इस बात पर डिपेंड करती है कि तुम अपने आप को कहां पर रखते हो अब यह तुम्हें तय करना है कि तुम्हें ₹200 का पत्थर बनना है कि दो लाख का
सिख
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि आपकी जिंदगी में कई सारे ऐसे लोग होते है जो आपसे बहुत प्यार करते हैं जिनके लिए आप आप सब कुछ है और कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो आपको सिर्फ एक वस्तु के रूप में उपयोग करेंगे उनके लिए आप कुछ भी नहीं है अब यह आपके ऊपर डिपेंड करता है कि आपकी लाइफ की वैल्यू क्या है
निष्कर्ष
उम्मीद है आप सभी लोगो को Short Hindi Stories पसंद आयी होगी अगर आपके ये कहानिया पसंद आयी तो अपने दोस्तों और परिवार जानो के साथ जरूर शेयर क्योकि आपके शेयर से किसी जरुरत मंद की मदद हो सकती है